प्रह्लाद महाराज ने अपने सहपाठियों को भगवान की सर्वव्यापकता के विषय में सूचना दी|यद्यपि भगवान् अपने विस्तारो तथा अपनी शक्तियो के द्वारा सर्वव्यापी हैं किन्तु इसका यह अर्थ यह नही है कि वे अपना व्यक्तित्व खो चुके हैं|यह महत्वपूर्ण बात है|यद्यपि वे सर्वव्यापी हैं तथापि वे पुरुष हैं|हमारी भौतिक विचारधारा के अनुसार यदि कोई वस्तु सर्वव्यापक होती है तो उसका व्यक्तित्व नहीं होता है,उसका कोई स्थानीकृत पक्ष नहीं रहता|लेकिन ईश्वर ऐसे नहीं है|उदाहरणार्थ,धूप सर्वव्यापी है किन्तु सूर्य का स्थानीय पक्ष सूर्यलोक है जिसे आप देख सकते हैं|इस तरह न केवल सूर्यलोक है अपितु सूर्यलोक के भीतर सूर्यदेव हैं जिनका नाम विवस्वान है|यह ज्ञान हमें वैदिक साहित्य से प्राप्त होता है|अन्य लोको में क्या हो रहा है इसको जानने के लिए हमारे पास प्रमाणिक स्त्रोतो से सुनने के अतिरिक्त कोई अन्य साधन नहीं है|आधुनिक सभ्यता में हम ऐसे विषयो पर वैज्ञानिकों प्रमाण मानते हैं|हम वैज्ञानिकों को यह कहते सुनते हैं,"हम चंद्रमा देख चुके है और यह ऐसा है,वैसा है|"और हम इस पर विश्वास कर लेते हैं|हम किसी वैज्ञानिक के साथ चंद्रमा देखने नहीं गये किन्तु हम उस पर विश्वाश कर लेते हैं|
ज्ञान का मूलाधार विश्वाश है|आप चाहे वैज्ञानिकों पर विश्वाश करे चाहे वेदों पर|यह आप पर निर्भर करता है कि किस स्त्रोत पर आपका विश्वाश है|अंतर इतना ही है कि वेदों से प्राप्त सूचना निर्देश है जबकि वैज्ञानिकों से प्राप्त सूचना सदोष है|वैज्ञानिकों की सूचना सदोष क्यों है?क्योंकि प्रकृति द्वारा बद्ध सामान्य व्यक्ति में चार दोष पाये जाते है|वे दोष कौन-कौन से हैं?पहला दोष है कि बद्ध मानव की इन्द्रियाँ अपूर्ण हैं|हम सूर्य को एक छोटे से गोले के रूप में देखते हैं?क्यों?क्योंकि वह पृथ्वी से बहुत दूर है किन्तु हम उसे एक छोटे गोले के रूप में देखते हैं|हर व्यक्ति जानता है कि हमारी देखने तथा सुनने आदि की शक्तियाँ सीमित हैं|चूँकि इन्द्रियाँ सीमित हैं इसलिए बद्ध जीव निश्चित रूप से भूल कर सकता है चाहे वह कितना भी बड़ा वैज्ञानिक क्यों न हो|अभी बहुत समय नहीं बीता जब इस देश के वैज्ञानिक प्रक्षेपास्त्र छोड़ रहे थे तो एक दुर्घटना हो गई और वह प्रक्षेपास्त्र तुरंत जलकर राख हो गया|इस तरह एक भूल हो गयी|बद्ध जीव भूलें करता रहेगा क्योंकि यह जीव का स्वभाव है|भूल चाहे छोटी हो या बहुत बड़ी किन्तु भौतिक प्रकृति द्वारा बद्ध मनुष्य निश्चित रूप से भूलें करेगा|
यही नहीं,बद्ध जीव मोहग्रस्त होता रहता है|यह तब होता है,जब वह किसी वस्तु को निरंतर दूसरी वस्तु समझता रहता है|उदाहरणार्थ,हम शरीर को स्वयं मान बैठते हैं|चूँकि मैं यह शरीर नहीं हूँ अतः मेरे द्वारा इस शरीर को स्वयं समझना मोह है|सारा संसार इसी मोह में है कि"मैं यह शरीर हूँ",इसलिए शांति नहीं है|मैं अपने कोभारतीय सोचता हूँ,आप अपने को अमरीकी मानते हैं और एक चीनी अपने को चीन का वासी सोचता है|आखिर "भारतीय,""अमरीकी,""चीनी" क्या हैं? यह शरीर पर आधारित मोह ही तो है|यही इसका सार है|
जारी...
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Posted by prakash chand thapliyal
ज्ञान का मूलाधार विश्वाश है|आप चाहे वैज्ञानिकों पर विश्वाश करे चाहे वेदों पर|यह आप पर निर्भर करता है कि किस स्त्रोत पर आपका विश्वाश है|अंतर इतना ही है कि वेदों से प्राप्त सूचना निर्देश है जबकि वैज्ञानिकों से प्राप्त सूचना सदोष है|वैज्ञानिकों की सूचना सदोष क्यों है?क्योंकि प्रकृति द्वारा बद्ध सामान्य व्यक्ति में चार दोष पाये जाते है|वे दोष कौन-कौन से हैं?पहला दोष है कि बद्ध मानव की इन्द्रियाँ अपूर्ण हैं|हम सूर्य को एक छोटे से गोले के रूप में देखते हैं?क्यों?क्योंकि वह पृथ्वी से बहुत दूर है किन्तु हम उसे एक छोटे गोले के रूप में देखते हैं|हर व्यक्ति जानता है कि हमारी देखने तथा सुनने आदि की शक्तियाँ सीमित हैं|चूँकि इन्द्रियाँ सीमित हैं इसलिए बद्ध जीव निश्चित रूप से भूल कर सकता है चाहे वह कितना भी बड़ा वैज्ञानिक क्यों न हो|अभी बहुत समय नहीं बीता जब इस देश के वैज्ञानिक प्रक्षेपास्त्र छोड़ रहे थे तो एक दुर्घटना हो गई और वह प्रक्षेपास्त्र तुरंत जलकर राख हो गया|इस तरह एक भूल हो गयी|बद्ध जीव भूलें करता रहेगा क्योंकि यह जीव का स्वभाव है|भूल चाहे छोटी हो या बहुत बड़ी किन्तु भौतिक प्रकृति द्वारा बद्ध मनुष्य निश्चित रूप से भूलें करेगा|
यही नहीं,बद्ध जीव मोहग्रस्त होता रहता है|यह तब होता है,जब वह किसी वस्तु को निरंतर दूसरी वस्तु समझता रहता है|उदाहरणार्थ,हम शरीर को स्वयं मान बैठते हैं|चूँकि मैं यह शरीर नहीं हूँ अतः मेरे द्वारा इस शरीर को स्वयं समझना मोह है|सारा संसार इसी मोह में है कि"मैं यह शरीर हूँ",इसलिए शांति नहीं है|मैं अपने कोभारतीय सोचता हूँ,आप अपने को अमरीकी मानते हैं और एक चीनी अपने को चीन का वासी सोचता है|आखिर "भारतीय,""अमरीकी,""चीनी" क्या हैं? यह शरीर पर आधारित मोह ही तो है|यही इसका सार है|
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