Tuesday, 15 March 2016

A patriotic poem (by prakash chand thapliyal)

ऐ जिंदगी ,

मुझे मेरे इस निष्क्रिय जीवन की सजा दे !
मुझे मेरी मौत से मिला दे !!

अपनी कद काठी का गुरूर, था मेरे मन मे छाया !
जो देश के काम न आ सकी, किस काम की थी वो काया !!

हंसता रहा मजबूर पर ,दिया न कभी किसी को सहारा !
सारी दुनिया से जीत गया ,पर खुद से था मैं हारा !!

दौलत के दम पर खरीदा था प्यार, जब उबल रही थी जवानी !
माँ बाप के संस्कारो की,मै देता गया कुर्बानी !!

प्यार तो वो था ही नही,नोटों की थी वो माया!
धन खत्म जब हो गया,एक पल भी नही टिक पाया!!

आगे रास्ता खत्म था ,पीछे छूट गयी थी एक संकरी गली!
कोई साथ न खड़ा था मेरे,सिर्फ थे बजरंग बली!!

पाकर आशीष उनका ,धयान पवनसुत की भक्ति मे लगा दिया!
शेष बचा सरा जीवन,मात् पित् और देशभक्ति मे लगा दिया!!

समर्पित है ये जीवन देशभक्ति मे,लेना तुम दुनिया वालो देख!
करूँगा जब मै अपने रक्त से,तिरंगे का अभिषेक!!

अगर कुछ कर गुजरने की ललक, है तुम्हारे सीने मे!
क्या मजा है इस कदर,अपने लिए यू जीने मे!!

नाम न तुम्हारा केवल, परिवार मे ही सिमटा हो!
वीरता तो उसमे है, कफन जिसका तिरंगे मे लिपटा हो!!

देना मेरे देश की शरहद पे , रेखा एक तुम खींच !
खून से अपने मै,दूँगा उस शरहद को सींच !!

अगर कभी देश की सेवा ,करते हुए मै मर भी जाउ!
प्राण न्यौछावर कर देश पे,गर्व से मैं भी शहीद कहलाऊँ!!

अगर मौत मिले किसी मोड़ पर तो एक ही गुजारिश करु.........
ऐ मौत,
मुझे मेरी जिंदगी से मिला दे!
अपने देश की सेवा करने का ,एक मौका और दिला दे!!

‪bloggerpct‬
Posted by prakash chand thapliyal

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