Sunday, 8 May 2016

सर्वाधिक प्रिय पुरुष (द्वितीय भाग)

प्रथम भाग का शेष......

यद्यपि मनुष्य का स्वरूप क्षणिक है, फिर भी इस मनुष्य रूप मे आप जीवन की सर्वोच्च सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं|वह सिद्धि क्या है? सर्वव्यापक भगवान को जान लेना| अन्य योनियों में यह संभव नही है |चूँकि हम क्रमिक विकास द्वारा यह मनुध्य रूप प्राप्त करते है इसलिए यह दुर्लभ अवसर है | प्रकृति के नियमानुसार आपको अनन्तः मनुष्य शरीर दिया जाता है जिससे आप आध्यात्मिक जीवन को प्राप्त करके भगवद्धाम वापस ज सकें|
जीवन का चरम लक्ष्य पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् विष्णु या कृष्ण हैं | बाद मैं एक श्लोक में प्रह्लाद महाराज कहते हैं, "इस भौतिक जगत् के जो लोग भौतिक शक्ति द्वारा मोहित हो जाते है,वे यह नही जानते की मनुष्य-जीवन का लक्ष्य क्या है? क्यों? क्योकि वे भगवान् की चकाचोंध करने वाली बहिरंगा शक्ति द्वारा मोहित हो चुके हैं| वे भूल चुके हैं कि जीवन तो सिद्धि के चरम लक्ष्य भगवान् विष्णु को समझने के लिए एक सुअवसर है|" विष्णु या ईश्वर को समझने के लिए हमें क्यों अतीव उत्सुक होना चाहिए? प्रह्लाद महाराज कारण समझाते है,"विष्णु सर्वाधिक प्रिय व्यक्ति हैं|हम यह भूल चुके हैं|" हम सब किसी प्रिय मित्र की खोज मैं रहते है- हर व्यक्ति इस प्रकार की खोज करता है|"पुरुष स्त्री के साथ प्रिय मैत्री करना चाहता है और स्त्री पुरुष के साथ मैत्री करना चाहती है| या फिर एक पुरुष अन्य पुरुष को खोजता है और एक स्त्री अन्य स्त्री को खोजती है| हर व्यक्ति किसी न किसी प्रिय,मधुर मित्र की तलाश मे रहता है | ऐसा क्यों? क्योकि हम ऐसे प्रिय मित्र का सहयोग चाहते हैं जो हमारी सहायता कर सके | यह जीवन संघर्ष का अंग है और यह स्वाभाविक है| किन्तु हम यह नही जानते कि हमारे सर्वाधिक प्रिय  मित्र पूर्ण पुरषोतम भगवान् विष्णु हैं|
जिन्होंने भगवदगीता का अध्ययन किया है,उन्हें पांचवे अध्याय में यह उत्तम श्लोक मिला होगा ,"यदि आप शांति चाहते हैं,तो आपको स्पष्ट रूप से यह समझना होगा कि इस लोक की तथा अन्य लोको की हर वस्तु कृष्ण संपत्ति है,वे ही हर वस्तु के भोक्ता हैं एवं वे ही हर एक के परम मित्र हैं| तो फिर तपस्या क्यों की जाये ? ये सारे कार्य भगवान् को प्रसन्न करने के अतिरिक्त और किसी निमिन्त नही है | और जब भगवान् प्रसन्न होते हैं तो आपको फल मिलता है| आप चाहे उच्चतर भौतिक सुख की कामना करते हो य आध्यात्मिक सुख की; आप चाहे इस लोक  में श्रेष्ठतर जीवन बिताना चाहते हों या अन्य लोको में -यदि आप भगवान् को प्रसन्न कर लेते हैं तो आप उनसे मनवांछित फल प्राप्त कर सकेंगे | इसलिए वे अत्यंत निष्ठावान मित्र हैं| किन्तु बुद्धिमान व्यक्ति ऐसी कोई वस्तु नही चाहता जो भौतिक रूप से कुलषित हो|
जारी...........
#bolggerpct
Posted by prakash chand thapliyal

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