जरा आराम से पलटना,
एक एक पन्ना,
इस किताब का,
यह एक दर्द की किताब है........
इस पूरी किताब में
इस किताब के हर एक पन्ने मे,
पन्ने के हर अनुच्छेद मे ,
अनुच्छेद की हर पंक्ति मे ,
पंक्ति के हर शब्द मे,
और हर शब्द के अर्थ मे,
दर्द ही दर्द है ,बेहिसाब दर्द है ,
यह एक दर्द की किताब है.........
न कसूर कलम का है ,
न स्याही का ,और न
मेरे अंदाज़ ए बयां का ,
ये तो दर्द ही था जो,
भीतर से निकलकर ,
कागज़ पर फैलता चला गया ,
फैलता चला गया, फैलता चला गया,
यह एक दर्द की किताब है........
यह दर्द है उन निश्चल नयनों का,
उन खिले लबों का ,उन चंचल बोलियों का,
उन करहाती चीखों का ,सिसकती साँसों का,
दर्द है उस कली का जो खिलने से पहले ही मसल दी गई,
नारी के अस्तित्व का ,स्त्री की गरिमा का,
जरा आहिस्ता से पलटना एक- एक पन्ना,
यह एक दर्द की किताब है ..........
दर्द उस गरीब का, उस सूखी रोटी का,
उस भूख से तड़पते बच्चे का, दर्द मासूमियत का,
दर्द खोते बचपन का ,इंसानियत की मौत का,
फुटपाथ पर सोते मजदूर का ,अमीर की अय्यासी का ,
गिरते हुए वतन का ,इंसानियत के पतन का,
जरा तस्सली से पलटना हर एक पन्ना
यह एक दर्द की किताब है.........
दर्द बोर्डर पे खड़े इंसान का,ऊपर से देख रहे भगवान का, विकते हुए इंसान का,झूठी शान का ,
दर्द आम आदमी का ,पाखंडी राजनेताओं का,
फैले हुए आक्रोश का ,समाज मे फैले अन्याय का ,
अगर जिगर हो तब ही आगे पलटना,
यह एक दर्द की किताब है........
दर्द #रामराज के नाश का ,विदेशी संस्कृति के राज का ,
हिन्द के परिहास का,हिंदुत्व के नाश का ,
गऊ के अपमान का ,माँ के स्वाभिमान का ,
गिरती हुई संस्कृति का ,जलती हुई प्रकृति का,
सोती हुई सरकार का ,विखरे समाज का,
आतंकियो के राज का ,देश के विनाश का,
दर्द ही दर्द है ,यहां से वहां तक ,
यह एक दर्द की किताब है.......
मेरे दिल को चीरती है यह एक वेदना,
कहाँ गयी मेरे देश के लोगों की संवेदना !
मेरा देश तो ऐसा देश था भाई लाखों बार मुसीबत आई,
सबने मिलकर करी लड़ाई पर देश की लाज बचाई !!
यह बात जरूर याद रखना.....
आज भी भारत में वृन्दावन मे श्री कृष्ण रास करते ,
हर स्त्री मे सीता और पुरुष मे श्री राम वास करते है!
मै अपने सारे सौ करोड़ हिन्दू भाइयों का आवाहन करता हूँ आओ
मिलकर देश का फिर से निर्माण करते है .....
कृपया भारी से भारी संख्या में हमसे जुड़े
bloggerpct
Posted by prakash chand thapliyal
एक एक पन्ना,
इस किताब का,
यह एक दर्द की किताब है........
इस पूरी किताब में
इस किताब के हर एक पन्ने मे,
पन्ने के हर अनुच्छेद मे ,
अनुच्छेद की हर पंक्ति मे ,
पंक्ति के हर शब्द मे,
और हर शब्द के अर्थ मे,
दर्द ही दर्द है ,बेहिसाब दर्द है ,
यह एक दर्द की किताब है.........
न कसूर कलम का है ,
न स्याही का ,और न
मेरे अंदाज़ ए बयां का ,
ये तो दर्द ही था जो,
भीतर से निकलकर ,
कागज़ पर फैलता चला गया ,
फैलता चला गया, फैलता चला गया,
यह एक दर्द की किताब है........
यह दर्द है उन निश्चल नयनों का,
उन खिले लबों का ,उन चंचल बोलियों का,
उन करहाती चीखों का ,सिसकती साँसों का,
दर्द है उस कली का जो खिलने से पहले ही मसल दी गई,
नारी के अस्तित्व का ,स्त्री की गरिमा का,
जरा आहिस्ता से पलटना एक- एक पन्ना,
यह एक दर्द की किताब है ..........
दर्द उस गरीब का, उस सूखी रोटी का,
उस भूख से तड़पते बच्चे का, दर्द मासूमियत का,
दर्द खोते बचपन का ,इंसानियत की मौत का,
फुटपाथ पर सोते मजदूर का ,अमीर की अय्यासी का ,
गिरते हुए वतन का ,इंसानियत के पतन का,
जरा तस्सली से पलटना हर एक पन्ना
यह एक दर्द की किताब है.........
दर्द बोर्डर पे खड़े इंसान का,ऊपर से देख रहे भगवान का, विकते हुए इंसान का,झूठी शान का ,
दर्द आम आदमी का ,पाखंडी राजनेताओं का,
फैले हुए आक्रोश का ,समाज मे फैले अन्याय का ,
अगर जिगर हो तब ही आगे पलटना,
यह एक दर्द की किताब है........
दर्द #रामराज के नाश का ,विदेशी संस्कृति के राज का ,
हिन्द के परिहास का,हिंदुत्व के नाश का ,
गऊ के अपमान का ,माँ के स्वाभिमान का ,
गिरती हुई संस्कृति का ,जलती हुई प्रकृति का,
सोती हुई सरकार का ,विखरे समाज का,
आतंकियो के राज का ,देश के विनाश का,
दर्द ही दर्द है ,यहां से वहां तक ,
यह एक दर्द की किताब है.......
मेरे दिल को चीरती है यह एक वेदना,
कहाँ गयी मेरे देश के लोगों की संवेदना !
मेरा देश तो ऐसा देश था भाई लाखों बार मुसीबत आई,
सबने मिलकर करी लड़ाई पर देश की लाज बचाई !!
यह बात जरूर याद रखना.....
आज भी भारत में वृन्दावन मे श्री कृष्ण रास करते ,
हर स्त्री मे सीता और पुरुष मे श्री राम वास करते है!
मै अपने सारे सौ करोड़ हिन्दू भाइयों का आवाहन करता हूँ आओ
मिलकर देश का फिर से निर्माण करते है .....
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Posted by prakash chand thapliyal
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