Saturday, 27 February 2016

Message of prakash chand thapliyal on behalf of intolerance

कुछ बुद्धिजीवी ये कहते है कि उन्हें देशद्रोही कन्हैया कुमार से इसलिए हमदर्दी है क्योंकि वो बिहार का रहने वाला है....

उन सियासी बेवकूफो से एक सच्चे देशभक्त का सवाल ?
अगर बिहार का कोई व्यक्ति आपकी माँ य बहन की इज्जत पे हाथ डाले तो क्या तब भी आप उन से हमदर्दी रखोगे...

अब तो प्रशन माँ भारती का है  तो एक सच्चा देशभक्त कैसे चुप रहेगा...

"चीर दिया सीना वेदों का, घायल किया पुराणों को..!
बेच दिया वोटों की खातिर,संस्कृति के प्रतिमानों को..!!" .

"हरे रंग को खुश करने में, भगवा को नीलाम किया..!
अरे सियासी कलमूहों यह बहुत घिनौना काम किया..!!"

"तुमने काशी-पूरी-द्वारिका के ध्वज को दुत्कारा है..!
आजम और ओवेसी अब तक जिन्दा है ये अपराध तुम्हारा है..!!"

 "जिस रंग से पहचान हमारी धर्म सनातन जिंदा है..!
उसपर तुमने दाग लगाया हर हिन्दू शर्मिंदा है..!!"

"भगवा को आतंक बताने वालों मुझको लगता है..!
नस्ल तुम्हारी नकली है और खून तुम्हारा गन्दा है..!!

पुत्र मैं माँ भवानी का ...
मुझ पर किसका जोर ...
काट दूंगा हर वो सर ...
जो उठा मेरे धर्म की ओर ...
भुल जाओ अपनी जात ...
करो सिर्फ धर्म की बात ...
एकबार नही ...
सौ बार सही ...
हर बार यही दोहरायेगे ...
जहाँ जन्म हुआ ...
प्रभु श्री राम जी का ...
मंदिर वहीं बनायेंगे .

जय श्री राम!
bloggerpct
Posted by prakash chand thapliyal

Friday, 26 February 2016

Book of pain (दर्द की किताब)

जरा आराम से पलटना,
एक एक पन्ना,
इस किताब का,
यह एक दर्द की किताब है........
इस पूरी किताब में

इस किताब के हर एक पन्ने मे,
पन्ने के हर अनुच्छेद मे ,
अनुच्छेद की हर पंक्ति मे ,
पंक्ति के हर शब्द मे,
और हर शब्द के अर्थ मे,
दर्द ही दर्द है ,बेहिसाब दर्द है ,
यह एक दर्द की किताब है.........

न कसूर कलम का है ,
न स्याही का ,और न
मेरे अंदाज़ ए बयां का ,
ये तो दर्द ही था जो,
भीतर से निकलकर ,
कागज़ पर फैलता चला गया ,
फैलता चला गया, फैलता चला गया,
यह एक दर्द की किताब है........

यह दर्द है उन निश्चल नयनों का,
उन खिले लबों का ,उन चंचल बोलियों का,
उन करहाती चीखों का ,सिसकती साँसों का,
दर्द है उस कली का जो खिलने से पहले ही मसल दी गई,
नारी के अस्तित्व का ,स्त्री की गरिमा का,
जरा आहिस्ता से पलटना एक- एक पन्ना,
यह एक दर्द की किताब है ..........

दर्द उस गरीब का, उस सूखी रोटी का,
उस भूख से तड़पते बच्चे का, दर्द मासूमियत का,
दर्द खोते बचपन का ,इंसानियत की मौत का,
फुटपाथ पर सोते मजदूर का ,अमीर की अय्यासी का ,
गिरते हुए वतन का ,इंसानियत के पतन का,
जरा तस्सली से पलटना हर एक पन्ना
यह एक दर्द की किताब है.........

दर्द बोर्डर पे खड़े इंसान का,ऊपर से देख रहे भगवान का, विकते हुए इंसान का,झूठी शान का ,
दर्द आम आदमी का ,पाखंडी राजनेताओं का,
फैले हुए आक्रोश का ,समाज मे फैले अन्याय का ,
अगर जिगर हो तब ही आगे पलटना,
यह एक दर्द की किताब है........

दर्द ‪#‎रामराज‬ के नाश का ,विदेशी संस्कृति के राज का ,
हिन्द के परिहास का,हिंदुत्व के नाश का ,
गऊ के अपमान का ,माँ के स्वाभिमान का ,
गिरती हुई संस्कृति का ,जलती हुई प्रकृति का,
सोती हुई सरकार का ,विखरे समाज का,
आतंकियो के राज का ,देश के विनाश का,
दर्द ही दर्द है ,यहां से वहां तक ,
यह एक दर्द की किताब है.......

मेरे दिल को चीरती है यह एक वेदना,
कहाँ गयी मेरे देश के लोगों की संवेदना !
मेरा देश तो ऐसा देश था भाई लाखों बार मुसीबत आई,
सबने मिलकर करी लड़ाई पर देश की लाज बचाई !!
यह बात जरूर याद रखना.....
आज भी भारत में वृन्दावन मे श्री कृष्ण रास करते ,
हर स्त्री मे सीता और पुरुष मे श्री राम वास करते है!

मै अपने सारे सौ करोड़ हिन्दू भाइयों का आवाहन करता हूँ आओ
मिलकर देश का फिर से निर्माण करते है .....
कृपया भारी से भारी संख्या में हमसे जुड़े
‪bloggerpct‬
Posted by prakash chand thapliyal

Saturday, 20 February 2016

दर्द शहीदों का (pain of martyrs)

पूछ रहा है सवाल भगत सिंह, राजगुरु और हर एक शहीद जावान!
क्या इसी आजादी के लिए दिया था हमने बलिदान!!

जिस तिरंगे की आन के लिए ,खुशी खुशी दी थी वीरो ने अपनी जान!
आज आजाद हिन्दुस्तान मे खतरे मे पड गयी है हमारे तिरंगे की शान!!

जिस सीने ने देश की शरहद पे ,प्रतिकूल हालातो मे प्रहार झेले है!
आज इन देशद्रोहियो के हितैषियों की वजह से ,हुए वो अकेले है!!

आज राजनीति कितनी गंदी हो गयी है ,
किस प्रकार देशद्रोह पर भी राजनीति की जाती है और आतंकियों को किस प्रकार प्रोत्साहित किया जा रहा है,
उसका थोड़ा वर्णन.....

बड़े-बड़े जब मेमन की फांसी रुकवाने अड़ते हैं,
दृश्य देख ये आतंकी के और हौसले बढ़ते हैं!

जब अफजल और हाफिज सईद के पीछे साहब जोड़ा जाता है,
ऐसा करके वीरो और सेनाओं का साहस तोड़ा जाता है!

डायन, भारत माँ को कहकर जो मंत्री बन जाता है,
देख के उनको आतंकी का फिर से सीना  तन जाता है!

जब अफरीदी के छक्कों पर ताली बजने लगती है,
आतंकी मंसूबों की उम्मीदे फिर से जगने लगती है!

काश्मीर में जब भारत का झंडा जलने लगता है,
ठीक उसी पल आतंकियों का सपना पलने लगता है!

ऐसे मुद्दों पर भी संसद राजनीति कर जाती है,
आतंकी हँसते हैं ,सेनिको की चीखें मर जाती है!

कठिन वक्त में प्यारे सब को एक साथ बढ़ना होगा,
राष्ट्रवाद की खातिर सब को एक साथ लड़ना होगा!

निहित स्वार्थ से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद की बात करो,
आलोक तिरंगे के चेहरे पर खुशियों की बरसात करो!

एक बार फिर ये पंक्तिया दोहराने की जरूरत है....

भरा नही जो भावो से,
बहती जिसमे रसधार नही!
हृदय नही वो पत्थर है ,
जिसमे स्वदेश का प्यार नही!!

सभी देशभको को एक संदेश .....
कृपया एक हो जाओ और देश द्रोहियो को मिल कर देश से निकालो !!
bloggerpct
Posted by prakash chand thapliyal

Friday, 19 February 2016

राष्ट्र के नाम एक संदेश

आज कुछ बातें दिल से निकलेगी,
उम्मीद है दिल तक पहुँचेगी...

आज जिंदगी की इस भाग दौड़ मे हमे न जाने कहाँ जाने की जल्दी है इस भाग दौड़ मे हम इतना आगे निकल आये है कि पीछे मुड़ कर देखना जरा मुश्किल लगता है...

चलो एक नजर डालते है कि हम कितना आगे निकल आये है......

अपनी खुशी तो याद रही पर दुसरो के गम को भूल गए,
निज हित तो याद रहा पर देश धर्म को भूल गए|
राजनीति तो याद रही पर राम नीति की भूल गए,
जीवन जीना सीख गए पर अर्थ उसका भूल गए||

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flirting करना याद रहा पर प्यार निभाना भूल गए,
girlfriend का हाथ साथ रहा और माँ के पैरो को भूल गए|
Divorce लेना सीख गए और रिश्ते निभाना भूल गए,
जीवन जीना सीख गए पर मूल्य उसका भूल गए||

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अंग्रेजी तो हम सीख गए पर हिन्दी लिखना भूल गए,
चाउमीन पिज़्ज़ा खाना याद रहा चूल्हे की रोटी भूल गए|
हाय हैल्लो तो सीख गए पर राम राम करना भूल गए,
मॉडर्न तो हम हो गए पर संस्कार दूर कही पर भूल गए||

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jeans पहनना सीख गए और साड़ी कुर्ता भूल गए,
attitude तो सीख लिया पर संस्कार दूर कही पर भूल गए|
खिलोनो से खेलना भूल गए और जज्बातों से खेलना सीख गए,
जीवन जीना सिख गए पर उद्देश्य उसका भूल गए||

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सत्ता सुख तो याद रहा और राम लला को भूल गए,
जिस वादे से सत्ता मे आये उसी वादे को भूल गए|
आज देश मे जिंदा लाशे कर रही है राज ,
इसीलिए राम मंदिर चंद कानूनी फाइलो का है महोताज||

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अनुष्का शर्मा याद रही और क्रिकेट खेलना भूल गए,
अपना गौरव याद रहा पर शोर्य देश का भूल गए|
रासलीला तो सीख गए पर सार गीता का भूल गए,
जीवन जीना सीख गए पर लक्ष्य उसका भूल गए||

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यू तो ये हवा का झोंका भी नही पर समझते है खुद को आंधी,
इन जनाब का नाम है श्रीमान राहुल गांधी|
अलगाववादियों से मिलना इन्हें जरूरी लगा और देश के लिए गोली खाने वालो को भूल गए,
राजनीति तो ये कभी सीख नही पाए अब राष्ट्रनीति भी भूल गए।।

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आजकल कुछ ज्यादा ही modern हो गए युवा कहते है "we dont like religious topic like hinduism"..

वे कृपया ध्यान से पढ़े....

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हिंदू न ही सिर्फ एक धर्म है जबकि ये तो एक पूरी सभ्यता है,
भारत मैं रहने वाला हर एक नागरिक हिन्दू है|
जब जब देश मैं हिन्दू यू ही सोता है,
देश हमारा अक्सर यू ही रोता है||

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अगर किसी को अपने आप को हिन्दू कहने से है परेशानी ,
तो वो नही है असली हिन्दुस्तानी|
अब और देशद्रोही नही बर्दाश करेगा हिन्दुस्तान ,
उन सबकी मेजबानी करेगा हमारा पड़ोसी पाकिस्तान||

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अगर कभी हो जाये कभी इतनी औकात किसी अमीर की,
तो लगा के दिखाए कीमत हमारे ज़मीर की|
हमारी जरूरते है कम इसलिए हमारे जमीर मे है दम,
बस एक बात का है गम आपका साथ है थोड़ा कम||

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आप सभी से निवेदन है ज्यादा से ज्यादा संख्या मे हमसे जुड़े......

अगर ये सब बातें आपको कही और मिल जाये तो हम ये मुहिम छोड़ देंगे,
क्योंकि हम यहा झूठ बोलने या नकल करने नही आये है|

हम राजनीति नही राम नीति करने आये है|..
Bloggerpct
Posted by prakash chand thapliyal