Thursday, 26 January 2017

भगवान नरसिंहदेव का प्राकट्य - प्रहलाद महाराज के दिव्य उपदेश by Prakash Chand Thapliyal

भगवान नरसिंहदेव का प्राकट्य

आजकल इस युवा समाज में एक बात आम हो चुकी है वो है मानवीय मूल्यों का लगातार गिरता स्तर । विद्यालयो में पाठ्यक्रम कुछ इस प्रकार है कि विद्यार्थियों में शैक्षिक योग्यता तो आ जाती है लेकिन मानवीय मूल्य क्षीण होते जा रहे है । पाश्चात्य संस्कृति का नशा युवाओं के दिमाग पर ऐसा छा रहा है कि वो सत्य सनातन धर्म की महत्वता को भूलते जा रहे है ।
















इसलिए आज ये जरुरत पड़ी है कि एक बार फिर भक्त शिरोमणि प्रह्लाद महाराज के दिव्य उपदेशो को पढ़ा जाये और उन प्रशनो के उत्तर ढूंढे जाये जिन्हें अक्सर युवा पीढ़ी पूछती है......

1.अपने मन को एकाग्र कैसे किया जाये। 
2. काम वासना को किस प्रकार वश में किया जाये। 
3.अपने आराध्य का ध्यान कैसे करे ।
4.काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहँकार, पे कैसे काबू किया जाये ।
5. कृष्णभवनामृत क्या है ।
6.इस जीवन का लक्ष्य क्या है ।

इन सभी प्रशनो के उत्तर के लिए कृपया सारे भागो को एकाग्रता से पढ़े,
आपको सिर्फ एक बार क्लिक करना है ,
कृपया सारे भागो को धैर्य के साथ क्रमानुसार ही पढ़े ।

इस ब्रह्माण्ड के सर्वाधिक दिव्य और प्रिय पुरुष के बारे में जाने ।

सर्वाधिक प्रिय पुरुष (प्रथम भाग)
सर्वाधिक प्रिय पुरुष (द्वितीय भाग)
सर्वाधिक प्रिय पुरुष (तृतीय भाग)
सर्वाधिक प्रिय पुरुष (चतुर्थ भाग)
सर्वाधिक प्रिय पुरुष (अंतिम भाग)

जानिए अपने जीवन का लक्ष्य और क्यों हम अपना जीवन नष्ट कर रहे है ।


जानिए किस प्रकार आप पारिवारिक मोह से मुक्त हो सकते है

पारिवारिक मोह (प्रथम भाग)
पारिवारिक मोह (द्वितीय भाग)
पारिवारिक मोह (तृतीय भाग)
पारिवारिक मोह (चतुर्थ भाग)
पारिवारिक मोह (पंचम भाग/अंतिम भाग)

जानिये आप किस से सर्वाधिक प्रेम करते है ।


किस प्रकार हम भगवान श्री कृष्ण की सर्वव्यापकता की अनुभूति कर सकते है ।


कृष्णभवनामृत क्या है ।


सभी पोस्ट को पढ़ कर अपना सुझाव अवश्य लिखे ।
जय श्री कृष्णा !!

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Posted by Prakash Chand Thapliyal